चाहत तो है श्वांस श्वांस पियूं श्वांस
अक्षतजीवन सहेजू,खर्च भी करूँ
वामनदेव सम इकपग में त्रिकाल
दुजे में त्रिलोक तीजे में राजबुद्धि
एकसाथ नाप लेना संभव है क्या !
चाहत तो है जरा को धक्का दे दूँ
बाल्य से दौड़ युवा ठहर संवारलूँ
अधिकार पूर्वक दोनों पीढ़ियों से
सामदामदंडभेद से लूँ यौवनभोग
ययाति बन के तुष्टि संभव है क्या !
"मैं" इकपात्र, इकवख्त, इकआयु
वख्त गया बात-चाह संभव है क्या
एक जगह दोबार फिसल भी जाएँ
एक वख्त में दोबार संभव है क्या !
एक साथ दो साँसे !
संभव है क्या !
एक साथ दो कदम
संभव है क्या !
By Lata Tewari
29 /07/ 2016
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