मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? मैं चुप, तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ? बात छोटी को लगा लोगे दिल से, तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ? दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर, सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ? न मैं राजी, न तुम राजी, फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ? डूब जाएगा यादों में दिल कभी, तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ? एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी, इस अहम् को फिर हराएगा कौन ? ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ? फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ? मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें.... तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ?
Feeling thoughtful it's fake excessive talkative only. Feeling pity for victims its sounds political job of leaders. Feeling shame, actually, shame is not enough....! Feeling pain, my pain can't take the pain of victims. Feeling wounds haven't time to clot, they bleed nonstop.
*Prayers for wisdom to humanity . sending love and peace vibes for strength
I ' am The sole witness of my Oldest Soul and
These are Nine Cosmic Riddles are the player
of my mind ....
And These Nine Cosmic Riddles are ~
1- Wonder when and why there is Big-Bang
happens in past and now when it will happen in
future !
2- Why is universe fine tuned with the mind and
for life!
3- Why the world if quantum its appears
aesthetic
classical !
4- Is there Any Super Consciousness in
Universe !
5- How the life begin , though history Scientific
researches are little informative
but not enough !
6- Where the time come from , and where to go
Including us !
7- What is the universe
made of
8- Who designs the universe
and why !!
9- Does the brain produce the mind , and rest is
nothing !
** These wonderful 9 Riddles come from In Tea Session held on 9/ sep / 2011 in one conference of world's famous psychologists at the USA
Here I am ...........
out of all documentations and
Pieces of information sources !
Pure and Wise Oldest Soul
Sole Witness of the eternal
time of my Origin and source
And I 'm
On & Of
each and every round of mine ,
each time is rubbing ,
and each cycle is
polishing ...
and each time growing
little more ... This is the Path Of The Soul
.
If I've the holdings and
the force of power to holds
my strength are
mistaken !!
Listen Dear holding ! you
are not who makes me strong
you are simply ego
you can give me only
burns and wounds
on each and every holding of your's
Now I understand ;
an effort to make a hold for inner
strength , Oh ! How those fake efforts were !!
actually, The ego serves weakness
absolutely , towards letting go's
"Power-Strength"
The brain is fraught with flaws.
Self-importance and seamless
integration of all
things/beings/life creatures are
indeed creations of our brain
as we oversimplify the process.
Magnetism of a loving
conscious is a powerful source
to mould potentiality. We can
only change what we touch,
leave in our marks of art and
effused effort, we are physical
beings in the factual sense, but
de-exist on my temporal levels.
letting go...........is the true power !
letting go............ is a true lover of Feminine Delicate Life
letting go............ is a true "happiness of life"
बात निकली तो दूर तक जा - टहल घूम के वापिस आएगी बातों की भीड़ में बातें कभी गुम नहीं होती अजीब बात है .....................!! ये आज की बात नहीं सदियों के सिलसिले है यही सब देख जान समझ के उसने कहा होगा शायद की यहाँ कुछ मरता नहीं फिर लौटता है फिर जन्म लेता है पत्थरों पे लिखी बोलिया पत्तों पे लिखी इबारतें या स्याही से गुजरते हुए कागज पे उतर आई हों क्या फर्क पड़ता है उस एक बात को ..................!! एक बात , नित नूतन या चिर नूतन हमेशा सजती-संवरती कभी ... समय से सहमी तो कभी खामोश हो उसी के आगोश में सिमट गयी ...!! इस के कितने वस्त्र रगीं आकार प्रकार के पहनावे कितने आभूषण , श्रृंगार सम्मोहित करने को तैयार बाहर मुखर बेबाक निकल गयी कभी अंतस को धारा मुड़ गयी ऐसी अनेक बातों की एक एक कतार में लगी सदियों से अनगिनत मासूम शख्सियतें........!! जीवन की अगन ललक समेटे ..... थोड़े निरन्तर जन्म लेते और मिटते अरमान जिनमे सुलगन - तपन भी शामिल ....................!! ये फूंक .... वो फूंक , ये बचा लिया ... लो वो जल गया हवा में हवा सी लहराती बातों की चिंगारियां जलती बुझती चमकती जुगनू सी .............................!! इन्ही बातों की चिंगारी से हवा में .....हवा जैसे बा_मुशक्कत जलते बुझते ये जुगनू से चिराग , कुछ हमारे हैं तो कुछ तुम्हारे भी हैं ........... .....!!
बूँदबूँद घट भरा या घटा
रीतारीता ये जीवन बीता
उथले गहरे क्षणभंगुर से
जीवन पे क्या क्या बीता
अपने सपने सपने अपने
बैरी कौन हमसाया कौन
दुविधा में हैअन्तर्द्वन्द्व भी
खोयापाया दोनों ही मौन
हारा ; अपने सब आगे थे
जीता; तो वे सब छूट गए
मुझ मे अच्छा था या बुरा
जिसे जो चहिए था लिया
वख्त ए फलसफाअजब
साल गए पल जाता नहीं
मुक़द्दस कभीआता नहीं
मुक़दर कहीं जाता नहीं
इसी रीति का गान करूँ
तनहा था, और तनहा हूँ
आप मुझे पहचानते रहो
मेरी हदें मुझ से खुश है!
खुद को ही समझ पाऊँ
खुद कोही महसूस करुँ
इससे ज्यादा, चाह नहीं !
इससे कम,स वाल नहीं !
लहर किनारे बैठ बैठ के
गीली रेत पे महल बनाया
यूँ चाँदिनी में बरबस उस
नम रेत से जा लिपट गया
ठहरन में भी खलबली है
अजीब दौड़ यहाँ लगी है
ढलता सूरज मैं ओ मिट्टी
अक्सर ढेरों बातें करते है
That there was something 'wrong' with you. (They believed in 'right' and 'wrong').
They sold you a lie. They fed you a nightmare:
That love was conditional. That you had to work for it. Earn it. Be 'good enough' for it.
That your source of self-worth was outside of you!
And your value was tied to doing better. Being faster. Smarter. Louder. Quieter. Taller, prettier. Achieving better grades. Climbing higher. Descending when told.
Building a better image. Constructing a better 'me'. A better version. An upgrade.
It was all a lie.
You were loveable exactly as you were. In your original form.
From the beginning, you were whole. And worthy.
Worthy of love. Worthy of attention. Worthy of empathy. Worthy of safety. Worthy of dignity, respect.
Your feelings mattered, even the uncomfortable ones.
Your body was beautiful, even with its imperfections.
Your voice was sacred, even when they didn't agree.
Your success mattered, but your failures were also pure.
Your in-breath mattered. Your out-breath too.
They taught you that you were small.
They were mistaken, always.
Yet forgive them, Father; they knew not what they were doing.
इस एक पल में
जिंदगी जीना अच्छा लगता है
इस एक पल में
मर जाना , जीना सा लगता है
इस एक पल में
खुद को खोना अच्छा लगता है
इस एक पल में
खुद को पाना अच्छा लगता है
इस एक पल में
सब भूल जाना अच्छा लगता है
इस एक पल में
गीत गुनगुनाना अच्छा लगता है
इस एक पल में
नयी धुन बनाना,अच्छा लगता है
इस एक पल में
ठहरना/चलना, अच्छा लगता है
इस एक पल में
इसको समझना,अच्छा लगता है
इस एक पल में नसमझ होनाभी,अच्छा लगता है
बिखरे हुए वजूद में
सिमट के बैठे हुए सब इस कदर
इस एक पल में
बिखर सिमटना, अच्छा लगता है
भीगी रेत् चलने में
निशाँ मिट जाना,अच्छा लगता है
इस एक पल में
इकइक पल पीनाअच्छा लगता है
इस एक पल में
ये खेल,खेल जानाअच्छा लगता है
छाई घनी बदरी में
यूँ छुपना चमकनाअच्छा लगता है
इस नन्हें दिल में
छुप्पछुप्पुवल् खेलअच्छा लगता है
इस एक पल में
कभी दुनियां भूले,अच्छा लगता है
इस एक पल में
सारी दुनियाँ पाना,अच्छा लगता है