Saturday, 10 October 2015

सिलसिला

( and the concept is very scientific only space can filled with water , and by birth duality is cause of give and takes )


गर बेचैनी को तस्सली मिली मुझे मिल 

मेरा सुकून उसे जरूर मिला होगा ......


लो ताज़ा खुशबुएँ उडी बागबां के हाथों से

कहीं गुलशन फूलों से सजा होगा........


येजो तुम्हारा अंजुमन सजा आज रंगो से

मेरे फूलों का रंग भी मिला होगा........


यूँ ही लेने देने का सिलसिला बनता नहीं

कोई तो कहीं मुकद्दर मिला होगा .......


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from
Sufi Heart

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