Sunday 25 October 2015

आस्था का जमावड़ा

आयतों मंत्रों के गीत है
ये आस्था का जमावड़ा नहीं !
जज्बे से भूल न करना ,
तमन्नाओं का सिलसिला है !
सर झुका दर पे यूँ नहीं ,
मुसीबतों से बेचैन हो गया है !
दो फूल चरणो पे चढ़े  
ख़्वाहिशों के अम्बार  लगे है !
झोली भरीं तो कतारें  
वर्ना टूटे खँडहर कहलाओगे !

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