Wednesday 16 September 2015

क्या है मेरी भाषा

मौन जन्मना मौन खिलना
रंग स्नानित सुगन्ध भरपूर 
मौन ही मुरझा गिर जाना
नहीं समझ पाये अभी तक
मेरी भाषा तुम सुनते क्या ?

मूक समझते हम सबको
भाषा का अस्तित्व ही क्या
सांस्कृतिक सामाजिक जो
जितने ज्ञानी उतने अज्ञानी
अ-अभिव्यक्त अव्यक्त है

मूक की भाषा परम सहज
उड़ता पक्षी ये बहता पानी
उन्नत श्रेष्ठ खड़ा फलधारी
गिरती पत्ती उड़ती तितली
हवा को बहते देखा क्या ?

देखो कृति नर्तन ओ गायन
करो संवाद कभी तो मुझसे
बैठो पल को मेरे संग कभी
भूल जाओगे संज्ञान तुम्हारा
कभी मौन वक्ता बने क्या ?

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