Wednesday 16 September 2015

देख तमाशा मिट्टी में मिल माटी का

माटी दे चाक पे मिट्टी ढोका बनाये  
खुद से ही खुद को  रौंदे, गढ़े  पकाये 
खुद से खुद को सुन्दर सुयोग्य बना  
माटी करे कौड़ी का व्यापार माटी से  

मिट्टी माटी में अद्भुत गहरा नाता
मिट्टी से जन्म ले उसमे मिल जाये  
मिट्टी ही दुलारे, मिट्टी ही सहलाये 
बहते घाव पे बन मरहम वो लगजाये 

माटी के प्रभु जी पे. छप्पर बने 'शान'  
संस्कार संस्कृति की माटी;देती ज्ञान
गजब है लीला , है गजब इसके काम 
खुद माया गृह गढ़े करे गजब उत्पात  

इकरोज बांध कमर पक्की मिटटी को 
वो कच्ची मिटटी गहरे जल उत्तर गई
धीरे धीरे यूँ विघ्न व्याधि पार हो गए 
देख तमाशा मिट्टी में मिल माटी का  

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