जब सुनती हूँ, उच्च-शिखर छुए हुए से
माँ कारन है जो मेरे लिए आदरणीय है
जब सुनती हूँ किसी सम्मानित पुरुष से
सुंदर- उत्तम-कृति पत्नी ही तो कारन है
ऐसे किसी की भगिनी, किसी की सखी
किसी की प्रेमिका शिखर का सम्बल है
कुछ यकीं तो होता है ईश्वरीय विधान पे
स्त्री तेरे जन्म पे अनायस गुमान होता है
वैसे पितृत्व-भाव का भी तो मोल नहीं है
प्रथमजन्मदात्री धारणी तू अधिकारिणी
प्रथम याचक पितृत्व कृतज्ञ हो जो तेरा
तो! स्त्री-मातृत्व का मान अलग होता है
हाँ ! यदि स्त्री स्वीकृत कर सके स-गर्व
शुभसंतुलन देवतुला-पलड़ों का होता है
© लता - १९/११ /२०१७ , २०:१५
thanks kirti
ReplyDelete