इश्क़ जरुरी नहीं एक मुज्जसिम से ही हो, तो हो,
क़यामत इक कायनात इक दीदार की ख्वाहिश से भी इश्क़ दीवाना हो सकता है
दीये की इस थरथराती लौ की कसम है, इश्क!
हवाओं से मायूस से लुपलुपते दीयों में उम्मीदों के तेल से रौशनी बिखेर सकता है
इस कदर मासूम महकता खूबसूरत रंगीं गुनाह
फूल तो फूल हैं, बेजान पत्थर में भी, ये अहसास एकबानगी जान फूंक सकता है
इश्क़इबादत इश्क़खुदा इश्कमासूम सबसे जुदा
इश्क कीजे फिर समझिये इसके गहरे रंग क्या! जिद आये रब से मिला सकता है
© lata, tusday 28, Nov, 2017. 12 :02 pm
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