Monday, 30 January 2017

रत्न बांसुरी



हमारा अंग अंग रोम रोम,
भगवान है
कन कन पसरा तन्त्रजाल,
विधान है

शिरा फैलाएं जाल अपना,
जीवन को
दौड़े *
1धमनी में लाल रक्त,
जो प्राण है

चार मिल सींचे हृदयांगन -
फुलवाड़ी को
पञ्चवि उर्ध्वमुख वो सुषम्ना का,
ताज है

बांसुरी सी *2धमनी सात स्वर,
छिद्र युक्त
जिसमे, जीवन गीत-लय-सुर-
ताल है

रत्न बांसुरी में फूंक मारे,
प्राण सरगम
आदिगीतकार का योजित,
शंखनाद है

*धमनी = 1- केंद्रीय रक्तनलिका,2-धौंकनी (मेरु)

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