Sunday 15 January 2017

कुछ ऐसा लिख !



कुछ ऐसा लिख ! जो गीत हो
कुछ ऐसा कह जो संगीत हो 
रचे कुछ सुंदर कुछ शुभ हो
ऐसी सुगंध तेरे उपवन में हो

( उपवन = मन )

कुछ ऐसा देख कवि छंद हो
कुछ ऐसा सुन कर्ण प्रिया हो
मलय राग समस्त बाग में हो
चिररूप युक्त मलयाचल हो
( चिररूप युक्त मलयाचल = दृढ देह चित्त का स्वामी )

ऐसा कह जो गतिशील न हो
योगी अटल अचल समर्थ हो
मन्दिर में जब हो पूजनबेला
दीप लौ स्थिर , मन शांत हो

प्रलय तो है ही अंत में इसके
किन्तु पंक्ति सृजनअधार हो
कुछ ऐसा लिख! जो गीत हो
कुछ ऐसा कह जो संगीत हो

© Lata 
15 / 01/ 2017 

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