कुछ ऐसा लिख ! जो गीत हो
कुछ ऐसा कह जो संगीत हो
रचे कुछ सुंदर कुछ शुभ हो
ऐसी सुगंध तेरे उपवन में हो
( उपवन = मन )
कुछ ऐसा देख कवि छंद हो
कुछ ऐसा सुन कर्ण प्रिया हो
मलय राग समस्त बाग में हो
चिररूप युक्त मलयाचल हो
( चिररूप युक्त मलयाचल = दृढ देह चित्त का स्वामी )
कुछ ऐसा सुन कर्ण प्रिया हो
मलय राग समस्त बाग में हो
चिररूप युक्त मलयाचल हो
( चिररूप युक्त मलयाचल = दृढ देह चित्त का स्वामी )
ऐसा कह जो गतिशील न हो
योगी अटल अचल समर्थ हो
मन्दिर में जब हो पूजनबेला
दीप लौ स्थिर , मन शांत हो
योगी अटल अचल समर्थ हो
मन्दिर में जब हो पूजनबेला
दीप लौ स्थिर , मन शांत हो
प्रलय तो है ही अंत में इसके
किन्तु पंक्ति सृजनअधार हो
कुछ ऐसा लिख! जो गीत हो
कुछ ऐसा कह जो संगीत हो
किन्तु पंक्ति सृजनअधार हो
कुछ ऐसा लिख! जो गीत हो
कुछ ऐसा कह जो संगीत हो
© Lata
15 / 01/ 2017
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