आधी टूटी दिखती
वो जादुई चाभी .....
खजाने पे टंगे हुए
बड़े से डरावने ताले की , जिसका आधा भाग
कभी टुटा ही नहीं , अदृश्य जुड़ा हुआ
सदा से .............
उसी मूल चाभी से , अपने ही अधूरे से
दिखतेपुरे वर्तुल को आवृत्ति पुनरावृति
युक्त , सदियों से कोल्हू का बैल
पूरा कर रहा है .......
और इंसान बन
आधी दृश्य चाभी हाथ में ले के,
वो भटक रहा है ......
उस अदृश्य टुकड़े
की कड़ी को जोड़ने को भटकता
इधर उधर बेशकीमती उम्र ...
कौड़ी में गवां रहा है .......
वो जादुई चाभी .....
खजाने पे टंगे हुए
बड़े से डरावने ताले की , जिसका आधा भाग
कभी टुटा ही नहीं , अदृश्य जुड़ा हुआ
सदा से .............
उसी मूल चाभी से , अपने ही अधूरे से
दिखतेपुरे वर्तुल को आवृत्ति पुनरावृति
युक्त , सदियों से कोल्हू का बैल
पूरा कर रहा है .......
और इंसान बन
आधी दृश्य चाभी हाथ में ले के,
वो भटक रहा है ......
उस अदृश्य टुकड़े
की कड़ी को जोड़ने को भटकता
इधर उधर बेशकीमती उम्र ...
कौड़ी में गवां रहा है .......
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