सुगंध स्निग्ध प्राण तरल गरलधारी हैं
दूर से लावण्यि नर्तकी थिरकती ज्यूँ
जाना तुझे छद्मी मोहिनी अतिक्रूर है
मातृरुपा, गर्भधारिणी, प्राणदायनी है
योगिनी मायारूपणी शक्तिस्वामिनी
प्रेमबीज रोपती सींचती रक्तओज से
प्राणरस फल बीज पुनरावृत्ती पूर्ण है
योगिनी मायारूपणी शक्तिस्वामिनी
प्रेमबीज रोपती सींचती रक्तओज से
प्राणरस फल बीज पुनरावृत्ती पूर्ण है
जीवन गीत पे थिरकती अभिसारणी
ताल देती लय पे अभिनेत्री भरपूर है
भाव देती सुगंधसम, देह पुष्परूप है
प्राण देव वृक्ष जड़ें बोध प्रिय भोज है
ताल देती लय पे अभिनेत्री भरपूर है
भाव देती सुगंधसम, देह पुष्परूप है
प्राण देव वृक्ष जड़ें बोध प्रिय भोज है
Lata
06/03/2018
18:44 pm
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