Sunday, 4 March 2018

चले आओ




अंजानी राह के जलते दीप ये ही कहते है
इक इक कदम डालते आओ, चले आओ

स्याह रात में राह के दमकते हीरे कहते है
न सोचो विचारो मुझे ही बीनते, चले आओ

टिमटिमाती उम्मीदों की रौशनी रौशन रहे
साँसों का उत्सव मे, हँसते-गाते चले आओ

©lata 
2/03/2018
10:21am

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