Tuesday, 19 December 2017

आखिर मकसद क्या है



मकसद एक शब्द लिखें तो पूरा शास्त्र बन सकता है 
तब भी प्रश्न अधूरा आखिर मकसद क्या हो सकता है  

छोटे छोटे मकसद और बड़े होते जाते उफ़ मकसद 
आदि-अंत न मिले आखिर मकसद क्या हो सकता है

कुछ दूर तक तो पूछे और कहे जा सकते ये मकसद 
उसके बाद तो अर्थयुक्त मकसद ही कहीं खो जाते है  

आकाशगंगाओं से ले धरती तक उतरे इस जीवन का 
और जीवन में नए जन्म लेते जीव का मकसद क्या है 

मेरी  लेखनी! क्या तू है इतनी सक्षम! कि बता सकेगी 
इस भटकेभ्रमित मनुष का मकसद क्या हो सकता है 

इनमें उपज रहे, जो नित विकसित, और नष्ट हो रहे है 
पतझर से बसंती संबंध का मकसद क्या हो सकता है 

सम्बन्ध के रंगी फूल से खिल पहले बीज फिर वृक्ष हुए 
पूछते बोध-वृक्ष का आखिर मकसद क्या हो सकता है 

कैसे कहें सूर्य से खंडित इस धरती का मकसद क्या है 
पुनः खंड करने का आखिर मकसद क्या हो सकता है 

लकीरें खींच अंदर टुकड़े थे किये हुए सभी बे-मकसद 
अपने टुकड़े भी करे इसका मकसद क्या हो सकता है

खुद से किये अपने हर टुकड़े में मकसद की तलाश है 
पूछते सबसे हो इस बात का मकसद क्या हो सकता है

अब और क्या कहें लेखनी तुम्हें इस भुलक्कड़ की बात 
पूछता आजकल मेरे जीवन का आखिर मकसद क्या है 


लता - १९-१२-२०१७
१३:४९ संध्या
प्रणाम 

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