भावनाये किसी भी सम्बन्ध में हों इनका कोई उत्तर है ही नहीं
होना भी नहीं चाहिए क्यूंकि ये "प्रवाह" है
जिसपे सिर्फ बांध काम करता है
पर ये निश्चित है के भावनाये सिर्फ एकतरफा प्रवाह वाली ही है
ऐसा संकेत मिलता है.. इसीलिए सम्वेदनशील-
भावप्रवाह में शब्द नहीं, वेग है
उछाल होता है खिंचाव होता है जिसमे ज्वार होता भाटा होता है
यूँ तो पहाड़ खायी भी है पर सागर में
जीवंतता-वश स्पष्ट दिखता है
पल में उछाल पल में खिंचाव, लहरें जितनी ऊपर आस-पास
उतनी गहराई नतीजा! बड़े खेप तक डूबे
भंवर में कोई भी डूब सकता है
ध्यान देने वाली बात भगवन और भक्त के सम्बन्ध भी ऐसे ही है
भाव का प्रवाह है एकतरफ़ा फ़िलहाल
दोहरी चाल अभी इसकी नहीं है
सांसारिकता में "एक चक्र का आधा टुकड़ा" इससे अधिक नहीं
इसका दूसरा हिस्सा यदि छूना चाहें तो
अपने उस छोर से मिलता है
'एकतरफा' कथा है और कथा का बहाव अपने ढलान को ही है
क्या करें ! जल ही तो है, ढलान पे ही बहेगा
भावना किसी की हो प्रवाह में है
सामाजिकता के अनुसार, समय अनुसार, या आयु के सन्दर्भ में
हर नदी का ढलान, रास्ता, प्रवाह
पूर्व से ही नियमित, निर्दिष्ट है
'कारन' शृद्धा प्रेम भक्ति प्रवाह में कठोर सवाल जवाब नहीं चलते
वो तो इस जलधारा को छितराते है
प्रवाह में वे सह+योगी नहीं है
भाव का अनंतप्रवाह कहे- रुकेगा कुछ पल किसी सशक्त बांध से
या बहेगा सिर्फ अपने ही अनंत रस्ते
मित्र एक बस नाम "अश्रुधारा"है
लता
sat.day 16 dec 2017, 15:01
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