Friday, 16 June 2017

न दिखाईये आस्मानी ख्वाब...............


न दिखाईये आस्मानी ख्वाब, आस्मां के 
के मैंने, जमीं पे अपना मुकाम किया है
ख्वाब से ख्वाबो को ख्वाबों में कैदकर-
यूँ जिंदगी को खूबसूरत अंजाम दिया है
न दिखाईये आस्मानी ख्वाब...............

नाजुक फूलो की खूबसूरती देख, आप
मिसाल ए इश्क़, रौनक ए गुल, कहे है 
खुद बाग़ीचे में कांटो संग जिन्हे आपने 
खिलते, सूखते, मिट्टी में मिलने दिया है
न दिखाईये आस्मानी ख्वाब...............

फूल को क्या कहिये, खुद से इश्क़ कर
रंग छिड़क के खुदकी खुशबु में मस्त है
इठला के डोलती पवन को सुगंध दिए है  
मौसम संग बदल के, फ़ना होने दिया है
न दिखाईये आस्मानी ख्वाब...............

जमीं से जुड़ के पलपल बदलते, इसके-
मिजाज को शिद्धत से महसूस किया है
क्यूं के , शूर ने जीत का ऐलान किया है
या कहें, इस जिंदगी को आसां किया है
न दिखाईये आस्मानी ख्वाब...............

8:30am 15-06-2017 © Lata 

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