हाँ, तमाम उम्र पुरजोर कोशिशें की
अपनी ही उड़ानों को इकट्ठा किया
तितलियों की रंगीन उड़ाने कैद की
बेहिसाब लहरो से अठखेलिया लेली
फूल से उड़ती सुगंध खजाने में रखी
व्योम से नक्षत्र-दल ले, झोले में भर
पंचतत्व से अर्क ले शीशी में डाल के
आत्मतत्व हवन की योजना बनायीं
योगशाला में सबकी आहुतियां डाली
धूंधूं कर लपटें सत्यता के प्रमाण की
लपट के नीचे छुप खाक बन सच्चाई
मंद बयार के झोंके संग राख बन उडी
उड़ के आ खाली हाथ पे बैठ उबासी ले
बोली- मैं हूँ , मै ही हूँ , बस मैं ही तो हूँ !!
अपनी ही उड़ानों को इकट्ठा किया
तितलियों की रंगीन उड़ाने कैद की
बेहिसाब लहरो से अठखेलिया लेली
फूल से उड़ती सुगंध खजाने में रखी
व्योम से नक्षत्र-दल ले, झोले में भर
पंचतत्व से अर्क ले शीशी में डाल के
आत्मतत्व हवन की योजना बनायीं
योगशाला में सबकी आहुतियां डाली
धूंधूं कर लपटें सत्यता के प्रमाण की
लपट के नीचे छुप खाक बन सच्चाई
मंद बयार के झोंके संग राख बन उडी
उड़ के आ खाली हाथ पे बैठ उबासी ले
बोली- मैं हूँ , मै ही हूँ , बस मैं ही तो हूँ !!
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