मान और मान का गहरा सम्बन्ध है
जो मान लेते उसी पे मान हो जाता है
जान और जान का भी यही सम्बन्ध है
जो भी जान लेते है वो जान हो जाता है
मानना मत, सुनी सुनाई पे मान होगा
जान ! जान उन्हें ही जान बना लेना है
जिसकी ऊँगली पे रुकी, लडखडाती सी
इक्छा प्रतिस्पर्धा ऊंचाई गहराई भी है
उसकी उसी ऊँगली की नोक के इशारे
उन्हें पहचान लेना समय पे जान लेना
Om Pranam
मान -मानना
मान - अहंकार
जान - जानना
जान - जिंदगी सा प्यारा
जान - " सम्बोधन " प्रिय को
ग़ाफ़िल है तू घड़ियाल ये देता है मुनादी
ReplyDelete"गर्दू "ने घडी उम्र की, एक और घटा दी
Allama Iqbal