Saturday, 5 December 2015

मान और जान




मान  और मान  का  गहरा सम्बन्ध है
जो मान लेते  उसी  पे मान हो जाता है

जान और जान का भी यही सम्बन्ध है
जो भी जान लेते है वो जान हो जाता है

मानना मत, सुनी सुनाई पे मान होगा
जान ! जान उन्हें ही जान बना लेना है

जिसकी ऊँगली पे रुकी, लडखडाती सी
इक्छा  प्रतिस्पर्धा ऊंचाई गहराई भी है 

उसकी उसी ऊँगली की  नोक के इशारे
उन्हें पहचान लेना समय पे जान लेना

Om Pranam

मान -मानना
मान - अहंकार
जान - जानना
जान - जिंदगी सा प्यारा
जान - " सम्बोधन " प्रिय को 

1 comment:

  1. ग़ाफ़िल है तू घड़ियाल ये देता है मुनादी
    "गर्दू "ने घडी उम्र की, एक और घटा दी
    Allama Iqbal

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