Tuesday, 1 September 2020

मेरे जीवन के निबंध

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मेरे जीवन के निबंध उस्मे बंधे गद्यपद्य चंद बुद्धि और भाव संग बनते बंधते मेरेअनुबंध मेरे अपने सुरा-पान रस घोले जीवन गीत विस्तृत फैली सड़कें उन प चलते गीत मेरे
मेरे जीवन के निर्झर फूट बहे कलकलकल है जीवन की कोयल गीत सुर सजाती जाती मेरा फैला उन्नत नभ पसरी फैली धरा मेरी इंद्रधनुष इक पल का पुष्प-गंध भी है क्षणिक गीत लयित सुरतार पे साँस गति पल-पल की फाहे से हल्के स्वप्न घेरे मदहोशी में है फाग मेरे मेरे जीवन के छंदबोल बंसी-तान से बहे राग मेरे

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