क्यूंके ... तुमको सब पता है
क्यूंके ... तुमको सच पता है
सहमे...कुछ डरे क्यूं रहते हो
सच से घबराये दिखते हो
सच कहना ...
(इस पार डरे तो भीरु हो, उस पार से, तो अन्जाने हो)
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
तभी...किसी निरीह चिड़ी से
पंख में बच्चे छुपाये बैठे हो
सच कहना ...
(इस पार में हो कर्मा है, उस पार मेंतो प्रारब्ध है )
क्यूंके ... तुमको सब पता है
क्यूंके ... तुमको सच पता है
तुम्हारे... हाथ न रहने वाला
ये सच भी फिसलने वाला
सच कहना ...
(इस पार हाथ में नन्हा क्षण उस पार विस्तृत काल है)
क्यूंके ...तुमको सब पता है
क्यूंके... तुमको सच पता है
आत्मथरथराहट को छिपाते
तभी ...उपाय ढूंढते रहते हो
सच कहना ...
(इसपार तो मात्र प्रयास है उस पार फैला 'पुरुषार्थ' है)
बिजली ... कहीं ना गिर जाये
शंकित ... घबराये से रहते हो
जलन / तड़प कम करने को
उसकी... देहरी पे जाते हो ना
सच कहना ...
(इस पार जो लगते संग्राम हैं उस पार संग चलता 'पुरुषार्थ' है)
तनमन दग्ध जिस-जिस से
विष कम करने जाते हो ना
क्यूंके... तुमको सब पता है
क्यूंके... तुमको सच पता है
सच कहना ...
योगी... जो जीना है सिखाता
भय-मुक्त ... विश्वास दिलाता
फिर भी... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(इस पार देह का साथ है, उस पार अकेला चैतन्य अथाह है)
Part two
सच कहना ...
सारे विषय... तुमको पता हैं
अद्भुत तुम्हारा बौद्धि-बल है
सच में... तुमको सब पता है
क्यूंके... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(सूर्य की हजार फैली किरण में एक किरण के रश्मिरथी तुम)
तुमको... इतना सब पता है
कहो... कहाँ अञान तमस है
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
पराक्रम पुरुषार्थ तुम्हारा
कला विज्ञन गणित तुम्हारा
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(एक किरण पे हो सवार चल पड़े तुम तो अनंतद्वार)
विषय महारथ, पारितोष-युक्त
सतत... अज्ञानी होने का भाव
मूल से... तुमको जोड़े रखता
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
संगीत नृत्य लय थाप तुम्हारे
अखंड ज्ञान सैलाब तुम्हारा
प्रकर्ति माँ की... गोद तुम्हारी
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
पुरुषार्थ धनी प्रेम अवतार
चलो... चलो ; थोड़ा और पार
पार!... क्यूं के अपार तुम्ही हो
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(कर्मयोगी अनहोनी से न घबराना और कभी अनिष्ट न करना)
उस पार भी यही पुरुषार्थ है
प्रेम ऊर्जा का सुंदर संसार है
अजेय... न भूल जो किरदार है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
सच कहना ...
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
क्यूंके ... तुमको सच पता है
सहमे...कुछ डरे क्यूं रहते हो
सच से घबराये दिखते हो
सच कहना ...
(इस पार डरे तो भीरु हो, उस पार से, तो अन्जाने हो)
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
तभी...किसी निरीह चिड़ी से
पंख में बच्चे छुपाये बैठे हो
सच कहना ...
(इस पार में हो कर्मा है, उस पार मेंतो प्रारब्ध है )
क्यूंके ... तुमको सब पता है
क्यूंके ... तुमको सच पता है
तुम्हारे... हाथ न रहने वाला
ये सच भी फिसलने वाला
सच कहना ...
(इस पार हाथ में नन्हा क्षण उस पार विस्तृत काल है)
क्यूंके ...तुमको सब पता है
क्यूंके... तुमको सच पता है
आत्मथरथराहट को छिपाते
तभी ...उपाय ढूंढते रहते हो
सच कहना ...
(इसपार तो मात्र प्रयास है उस पार फैला 'पुरुषार्थ' है)
बिजली ... कहीं ना गिर जाये
शंकित ... घबराये से रहते हो
जलन / तड़प कम करने को
उसकी... देहरी पे जाते हो ना
सच कहना ...
(इस पार जो लगते संग्राम हैं उस पार संग चलता 'पुरुषार्थ' है)
तनमन दग्ध जिस-जिस से
विष कम करने जाते हो ना
क्यूंके... तुमको सब पता है
क्यूंके... तुमको सच पता है
सच कहना ...
योगी... जो जीना है सिखाता
भय-मुक्त ... विश्वास दिलाता
फिर भी... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(इस पार देह का साथ है, उस पार अकेला चैतन्य अथाह है)
Part two
सच कहना ...
सारे विषय... तुमको पता हैं
अद्भुत तुम्हारा बौद्धि-बल है
सच में... तुमको सब पता है
क्यूंके... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(सूर्य की हजार फैली किरण में एक किरण के रश्मिरथी तुम)
तुमको... इतना सब पता है
कहो... कहाँ अञान तमस है
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
पराक्रम पुरुषार्थ तुम्हारा
कला विज्ञन गणित तुम्हारा
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(एक किरण पे हो सवार चल पड़े तुम तो अनंतद्वार)
विषय महारथ, पारितोष-युक्त
सतत... अज्ञानी होने का भाव
मूल से... तुमको जोड़े रखता
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
संगीत नृत्य लय थाप तुम्हारे
अखंड ज्ञान सैलाब तुम्हारा
प्रकर्ति माँ की... गोद तुम्हारी
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
पुरुषार्थ धनी प्रेम अवतार
चलो... चलो ; थोड़ा और पार
पार!... क्यूं के अपार तुम्ही हो
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
(कर्मयोगी अनहोनी से न घबराना और कभी अनिष्ट न करना)
उस पार भी यही पुरुषार्थ है
प्रेम ऊर्जा का सुंदर संसार है
अजेय... न भूल जो किरदार है
क्यूं के... तुमको सच पता है
सच कहना ...
सच कहना ...
क्यूं के... तुमको सब पता है
क्यूं के... तुमको सच पता है
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