नितप्रति-निरंतर-नूतन और भी समृद्ध हो आत्मश्रृंगार
एकल समृद्ध साहित्य भाषा कोष आग्रह बारंबार
पुनः आवर्ती न हो , एकार्थी हो जो , ऐसा दो शब्दश्रृंगार
ऐतिहासिक श्रृंखला से समृद्ध संगीत में एकलयता
एक बांसुरी पे सजे एकतरंग में हो , ऐसी दो धुन संवार
एक बांसुरी पे सजे एकतरंग में हो , ऐसी दो धुन संवार
अनगिनत चित्र में अनेकों रंग हजार फैले बेतरतीब
हो अद्वितीय वो एकचित्र उसमें मात्र दो एक रंग उभार
बनते मिटते नृत्य में टुकड़े लयताल , है मेल अनेक
अनुपम शिव एकनृत्य उसमें एकलय एकताल का सार
अनुपम शिव एकनृत्य उसमें एकलय एकताल का सार
एकल समृद्ध सम्पन शक्तिमान निधियों आओ
जीवनयज्ञ में निमंत्रण,आह्वाहन स्वागत,दो आकर तार
समृद्ध जीवन ज्योति सम्मुख निर्जीव भीड़ समूह
उतरो जीवन में सूर्यकिरण बन, दो ज्ञानप्रकाश उपहार
© Lata
२२ १२ २०१६
Prayers for everyone , your soul may become richer and grow well day by day . Amen
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