The poetry based On own Water memory
पानी हूँ मैं
पानी सा ही स्व-भाव रखता हूँ
पानी हूँ मैं
सात-रंग सात-आसमां हैं मुझमे
पानी हूँ मैं
सात-सागर समेट के रखता हूँ
पानी हूँ मैं
बार-बार पानी-पानी होता हूँ मैं
पानी हूँ मैं
बूँद भर पानी से संवर जाता हूँ
पानी हूँ मैं
के बस पानी सा बिखर जाता हूँ
पानी हूँ के
अपने होने का हुनर जानता हूँ
पानी हूँ मैं
तभी रास्ता अपना बना लेता हूँ
पानी हूँ मैं
भाप हो के मेरा होना धुआं हुआ
पानी हूँ मैं
हौसले हैं तोही बर्फ घुल पानी हुआ
पानी हूँ मैं
दुर्गमराह पे बढ़ना आता है मुझे
पानी हूँ मैं
जिधर भी बहता हूँ राह बनाता हूँ
पानी हूँ मैं
अग्नि या बर्फ से, भाप ही परिणाम है
पानी हूँ मैं
जल की स्मृति-अग्नि से पिघलता हूँ मैं
संग कुछ नहीं
स्मृतिबूँद वाष्प कर साथ ले जाता हूँ मैं
बादलों की ऊंचाई तक
यही स्मृति-जल संजो बींध रखता हूँ मैं
मेघ की ऊंचाई तक
युगों तक स्मृतिजल संजोये रखता हूँ मैं
तब ही तो
जल-स्मृति के कारन पुनः जन्मता हूँ मैं
तब ही तो
जलस्मृति साथ पुनः जन्मता हूँ मैं
(तनिक हास्य से )
निर्वाण मेरा !
जलसमृति के पार जब जाता हूँ मैं
पानी हूँ मैं
सात-रंग सात-आसमां हैं मुझमे
पानी हूँ मैं
पानी सा ही स्व-भाव रखता हूँ मैं
🪔
Created - 12/01/2021
copyright - Lata
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