Friday, 19 June 2020

धत्त तेरे की

'Dhatt Tere ki' is area specific-slang for express mix emotion of acceptance surprise and self stupidity.


१- 
मृगया सुन !  या  रेत है , कउनो    
शीतल सोता नाही 
 सुन मृगा ये मरीचिका और  तू है 
रेगिस्तानन माहि 


ओये! धत्त तेरे की

(O, Dear, this is sand, no cold spring, this is your desire and you are in the desert.  (slang))

२-
न.... तू धरिया ध्यान ! 
न.... तू सुनया सबद अकासा !
अब.... जैसी करनी..... वैसी भरनी 
पछताए का होये जब चिरैया चुग गयी खेत 
अजहूं चेत....

ओये! धत्त तेरे की
(neither mediate nor listened to the sound of the sky, As you sow, so you shall reap your deeds.(Proverb)  no need to regretful, the bird has devoured the field (Proverb)  still time is in hand....)(slang)

३-
 अंत न पाया , भटक गंवाया 
सुन -  धुन _ सुर_सुन 
फकीरा बजावे हाथ में ले इक तारा 
इक सुर बस एक धुन , बोलो - 
तारा रा रा रा  
अनहद उतरे,  धुन सुन,  झरे अकासा 

ओये! धत्त तेरे की

(Not get n lost all in wandering, listen to rytheme_ words, Fakira playing ektara, the divine showering blessings from skies.)
 ( slang)

४-
आधा लेवे आधा देवे , छलक छलक छलकाए, 
दुवारे साधु ठढ़ा भूखा प्यासा ही रह जाए
 काहे तोरी अधजल गगरी रिस रिस टपकत जाए
वाके नीचे उपजे फल की पौध सुखाये 

ओये! धत्त तेरे की
(Half takes half gives, the divine soul stands out thirsty and hungry, your pot spill-over,  and a plant gets dry beneath of dropping water.)
(slang)

५-
मो को कहे जग,  मैं बावरा
बावरा जग मिल हँस्यो मोपे 
लै चल ये लाठी माटुकी अब 
फकीरा ! देस बिराना होये 


ओये! धत्त तेरे की

(Says to me I am mad, the mad world is laughing on me. O fakira take your stick and water pot this world is not related to you.)
(slang)

६-
सोना गुड्डा-सोना गुड़िया दोनों मिल खेलें खेल
सोना खनके बन खन खन सिक्के 
सोना राजा , सोना नगरी 
सोना पहने छन छन छनके सोना रानी 
सोना सोना लट्टू माया 
मिट्टी-हुई-सोना, सोना-हुई-मिट्टी

ओये! धत्त तेरे की

(The gold boy-gold girl playing together, the gold sounded in the mettle currency, gold kind, gold citizen, ornamental wear gold queen, an illusion also becomes gold, the mud becomes gold the gold becomes mud. )
(slang)

७-
दिलों के लहराते ऊँचेऊँचे तूफ़ान देखो तो ! 
दिमागों के घुमड़ते प्रचंड उफान देखो तो ! 
सवालों में उलझे.... कई नादान... देखो तो ! 
सयाने... जवाब देते देते हैरान ... देखो तो ! 
हा     हा     हा     हा

ओये! धत्त तेरे की
(See the high tides of emotions see the storms of brains questions are entangled with innocents and wise surprised in continues answering. )
(laugh)
(slang)

८-
खूब ध्यान धरया .... खूब पहाड़ चढ़या
खूब दौड़या ....  खूब खेलया
खूब हाँस्या ... खूब नाच्या 

 खोदा पहाड़ निकली चुहिया, मैं जानूं ! 
हा  हा  हा  हा

ओये! धत्त तेरे की
(Loads meditate. loads go on hills, loads of runs and loads of play, finally I knew dug up a mountain and found mice (proverb)
( laugh)
(slang)

९-
उस वानर ने  
कुटिया में छोड्या पंजा 
तीन इक्छा में बंध गया मौला  
सोचे खा मायाबेल धतूरा , ये जग पूरा 
बौराया 

हा हा हा हा हा हा
ओये! धत्त तेरे की 

(That monkey leaves his paw of three wishes in house and my Inner wise god trapped, and wise thought all the world swallow thorn-apple getting mad. )
(laugh)
(slang)

१०-
क्या क्या पा लूं, कितना बटोरूँ 
बस ! ! ! बस ! ! ! बस ! ! !
हाथ खुले तो मिट्टी पायी बाकी बिखरा कीचड़ कीचड़ 
और पड़ा मैं लथपथ लथपथ 
ये अपना अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ

हा हा हा हा हा हा
ओये! धत्त तेरे की

(how much i  acquired how much i take, stop !!! Stop !!! Stop!!!  In last all open hand only resting dust in hand and i am surrounded with mud, fallen in stained stained stained. this was my firepath firepath firepath .)
 (Laugh)
( Slang)

११-
सुन हंसा !  सम्भल ले हंसा 
जम खडा द्वार तेरे देख , हंसा !
सिमित सरोवर  गोल गोल घूमे तू हंसा !
आगे कहाँ तलक तैरत जाएगा मूरख हंसा 

ओये! धत्त तेरे की   
हा..... हा ......हा ..... हा .......हा..... हा ......हा ..... हा

(Dear swan, take care of swan, the angel of death is in front of you, your limited pond, and you swim all around . how long you may swim.)
 (laugh)
( slang)

१२-
"धत्त तेरे की"
(slang)

१३-
"धत्त तेरे की" बोल , फ़क़ीर बोला..

(slang) sais Fakir said ---
.
१४-
ये इक 'सफर' है जिसमे तुम हो चलते 
मुसफिर 'उसका' हर कदम इम्तिहाँ है 
बीच राह में,  रुके.... हारे.... या थके हो
होगे कोई भी; उसकी औलाद नहीं हो
(this is a journey where you walking, Traveller his every step is the exam for you. if in mid you stop/failed/tired. whatever you are but not of a divine son.)


१५-
गिद्धों की टोली, घड़ियाल के आंसू हैं, बिल्ली की चालें, मकड़े के जाले हैं 
सांप की फुंफकार, शेरो के शिकार, जल, थल, नभ, दिशाओं के व्यभिचार 

कंठ प्यासा, प्राण आतुर, दिल में स्पंदन, पैर नीचे सुलगते जलते अंगारे हैं 
हारोगे मिटोगे तो तुम इंसा नहीं हो, होगे कोई भी ; उसकी संतान नहीं हो 

थम सोचना स्वजनक से बात करना पिता तुम्हारा हौसले जीवन से भरा है  
झुकना उछलना दौड़ना निज पथ पे खुश्बू सी पवित्रताएं तुम्हारी उन्नत हों 

गहनतम गहराईयों में अँधेरे गहरे हैं किन्तु योग के अन्तस में पुष्प खिले हैं 
सुबह की है,  भोर की है , आस की जो कर्म की है धर्म की है व्यवहार की है

अंधेरों में चमके रेख-किरण सूरज की सूरज निकलता सभी को जीवन देता 
शार्दुल और संत आचार-अनाचार भी, इनके बीच तुम रहते संघर्षी-इंसान हो

(translation will come soon)

१६-
फिर आसमान पे देख  हंसा -  
                                         हा..... हा ......हा ..... हा .......हा..... 

                                                                    बोला....
                                                               "धत्त तेरे की"

                                               मुसफिर चल पड़ा अपनी राह पे ....

(after that, he saw to the sky and laughed ...  and says (slang) then moved on,  on his path...

🙏
* आभार *

Thursday, 11 June 2020

आज बढ़ती उम्र साथ सभी तोहफे को महसूस करता हूँ

आज ; समक्ष मेरे, तीनो काल-खंड में पसरा एक समय तीन टुकड़ों में पिछले अगला, और मैं मानो बँट गया हूँ और मैं , खड़ा हुआ हूँ इस रस्सी के ठीक-ठीक मध्य में 'पिछला' , वो तो सचमुच यादों के साथ पिछला हो चुका हाथ से फिसल जाता हुआ..अगला पल तो मछली जैसा और ये पल.. जिसमे खड़ा हूँ शून्य में झूला झूल रहा है और मैं... पैर ठीक से जमा खड़ा होने की कोशिश में हूँ कभी विचलित होता... पिछली यादों को पास बुला लेता जुड़ता तो 'अगले' पल के पास होने की कोशिश करता अपने 'इस' पल के पास होने का कभी वख्त नहीं मिला माँ पिता जी निश्चित जुझारू होंगे ठीक नहीं कह सकता पर, आज उस जुझारूपन को खुद में महसूस करता हूँ आज लगता है, उनका किया प्रेम भी 'अधिकार' था मुझे जबकि उस वख्त परमात्मा का दिया वो तोहफा था मुझे अगला पल मेरे प्रेम पे जब अपना अधिकार समझता है और मैं ! उस पल को उसकी इक्छा बिना, छू नहीं पाता
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आज मैं महसूस करता हूँ परमात्मा की इस 'सुविधा' को जो समय की तेज रफ़्तार के साथ खुशबु सी उड़ जाती है आज बढ़ती उम्र साथ सभी तोहफे को महसूस करता हूँ तीनो काल में फैला मेरा वजूद, इस पल में कसमसाता हूँ

Saturday, 6 June 2020

कवि-मंथन


वाणी और लेखनी से अंगार झरें तो  
हे आर्त कवि  ये "मंथन" तुम्हारा है 

लाल स्याही से भाव तुम्हारे  
कर्मठनद धैर्य; नुक पे क्यूँ?
चोट करे गरु महासागर पे
लेखनी वन राख करे क्यूँ?

उदगम से चली कर्मसुंदरी  
ठानी मंजिल तक जाने की
मंजिल उसकी क्या सिवाय 
महासागर में मिल जाने की 


संघर्ष युक्त जीवन-स्पंदन 
सौंदर्य; धरा के आँचल में 
अन्तस् में दहक लावे की 
पर जीवन छल्के अंगों में 

आओ न! रचना करें हम
आह्वाहन कवि तुम्हारा है

नाव-शब्द खेलें लहरों से
भाव, समंदर से गहरे हों

कुछ ऐसे सुंदर शब्द हों
जो कुछ मेरे कुछ तेरे हों

स्वर, जो भाषा ऊपर हों
जो पीड़ा त्रास भरे ना हों

ना ही ह्रदय का रुदन हों
ना ही वे नैनों से बहते हों

विभीषिका समझते हों वे 
नर्म सुगन्धित फूलों से हों

उन्पे तेरा मन भ्रमर डोले
चुन शब्दकली माला बुने

मोहक तितली उपवन के
पुष्पित संसार में नर्त करे

मधुमख्ही से बैठे तौल के
उड़ें पराग कण मुँह में ले

चिरयिया से चूंचूं करते हों
कवि !तेरे शब्द चुनिंदा हों

रंगीं बयार से इठलाते हों
जो; मन का भय हरते हों

दारुण दुःख पे मल्हम हों
समय के विष हर लेते हों

नीलीज्वाला से शीत-तपित
कवि! बस वे सुंदर शब्द दो