Monday 27 April 2020

चलो! यादों की सांकल खड़खड़ाये



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गर्जते शोर करते बिजली चमकाते


पहले उदास ऐसे स्याह बादल न थे



बड़ा मायूसी का आलम चारो ओर


हवाओं में उदासी का रंग घुल गया



खुला आसमान परतों में कैद हुआ


बचपन भी एल्बम में छुप बैठ गया 



रंग बिखेरे लम्हे से क्युँ उम्मीद करें 



ऐसा करें सितारे काढ़ ओढ लें हम! 




माना; हजारों नहीं उनमे कोई एक 


चलो उसी कोअपनी पतवार बनाये



अभी किल्कारी भर छलांग ले साथ


दो पल पीछे जा, झरने से ठंडा जल



रंगीं तितली संग चिड़िया की बोली


खुशबूदार फूल आँचल में भर लाएं



चलो! यादों की सांकल खड़खड़ाये


स्वप्नों में कैद हुए जो पल छुड़ा लाएं


Lata 27-04-2010
01:37:pm

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