Saturday, 15 August 2015

मध्य



मध्य  में जब से ठहर गया मन 
असंतुलित को संतुलित करता 
शब्द  मध्य  नन्हा भारी सन्दर्भ
प्रसंगउपसंहार हुएअप्रासंगिक 
.
'मध्य'आधार काल का जिसकी 
मंडल,जीवन और देश पहचान 
लहर-भाव-अर्थ प्रवाहित इसमें 
कील सा मूल गंभीरसिंधु समान
.
पूछने पर महादेव ने पार्वती को
एकसौ ग्यारहवीं बार यही कहा
योगों  में श्रेष्ठ योग मध्य में वास
न आदि न अंत  मध्य ही सुगम
.
नाभि मध्य सार बद्ध महत्वपूर्ण
मध्हम श्वांस मध्य  योग के प्राण
आचार का मध्य  कौशल युक्त
दर्शन में मध्य है ज्ञान का उदय
.
धरती का मध्य संतुलन उसका
ब्रह्माण्ड मध्य में संतुलित  केंद्र
ईश्वरतत्व पूर्णवासित केंद्र मध्य  
जन्म देता जन्मता कालमध्य में 

नृसिंह बन करता संहार मध्य में 

जीवन भी होता प्रवाहित मध्य में 
बुद्ध ज्ञान मार्ग कर गया स्थापित
चारआर्यसत्य कहगए मध्यमार्ग

कृष्ण गीता बोले मीठे मध्य बोल

सुखे दुखे समेकृत्वा लाभालाभो-
जयाजयौ भी बोले मध्य के बोल
समस्त धर्मदर्श गायें मद्धम गान 

पूर्ण संगीत के तीन सप्तक द्वार 

प्रायोगिक मधुरमध्य सप्तकसुर
शिव डमरू देता टंकार मध्य से 
वीणा तरंगित घर्षिततार मध्य में

कंठमध्यदेश अभिव्यक्तभाव से 

ह्रदयमध्यदेश भीगा प्रेम भाव से  
आग्यां देश स्थान भृकुटि मध्य में 
मूलप्रदेश योगमाया वास मध्य में 

जागृत योगसर्प फुंकार है मध्य से 

सहत्रबिंदुज्ञानप्रवाहगमन मध्य से 
संतुलन का आधार है " मध्य "में
मेरे तेरे सबके केंद्र बिंदु मध्य में  





2 comments:

  1. Madhya..the Core ...the Still...the quite...calm...the silent bindu .... The converging or emerging point of all energies...lovely. Thnx for sharing Lata.

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