काले लिबास में लोग थे बेवजह बकरा बना दिया
लो; घुटने हमारे बंधे है और आँखों पे पट्टी चढ़ी है
यूँ तो तेरे मुल्क में आये हम सभी बकरे हैं बंधे हुए
जन्नत की बकरीद में लगता है इसबार मेरी बारी है
कहते हैं वे तुझे याद कर अल्लाह रहम-रहम कहूं
बच सकता है तो बच ले अल्लाह बड़ा रहमदिल है
तेरे तरीके की शान! बकरीद का जश्न यहाँ खूब है
पर ये बकरे कुछ ज्यादा ही लाचार और बेबोल है
पल में ,नजरो में नजारा था जब इक जुस्तजू वास्ते
बकरीद दिन मुहैया किया क़ुर्बानी के जश्न के लिए
जिसे न देखा न जाना उस वख्ती आफत से बचने
चाकू पे धार तेज की, ताकि हलाली ठीक हो सके
अंजानी आफत वास्ते क़त्ल कर दिया था ये कहते
बच सकता है तो बचले अल्लाह बड़ा रहमदिल है
© Heart's Lines / Lata
My apologies if hurts festive feel, out of celebration here is something more to think.
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