इक खाली से मौसम में उम्र चुकाते हुए
तनहा एकदम अकेला सा ख्याल आया
तमाम इस जद्दोजहद की वजह क्या थी
क्यों युद्ध में जंगी योद्धा बन उम्र गुजारी
नंबर पढ़ाई शोहरत रुतबा पैसा ही नहीं
हमने समझदारी भी लड़ते लड़ते कमाई
शतरंज की चौपड़ पे खेल खेले जी भर के
हमीं राजा, हमीं रानी, हमीं वजीर प्यादे थे
दोनों तरफ हारजीत जंगी ऐलान हमारे थे
हारे या हमीं जीते भी सारे मोहरे हमारे थे
न दुश्मन था सामने न ही फ़ौज का दस्ता
वजह थी क्या जो शूरवीरों सी उम्र गवायीं
अपने ही निशाने थे, तीर भी सारे हमारे थे
किसी ने कहा भी नहीं तुम्हारी जीतहार है
सरपट दौड़ शुरू हुई , गाजर बंधी पूँछ पे
माहौल जिसने दौड़ने को मजबूर किया था
बागों की सैर, वो चश्मे, वो खिलते कमल!
चाय की चुस्की, खाने का निवाला, मुहाल!
कहाँ वख्त था के दो घडी रुक इन्हे देखते
इनके साथ उनका हाथ अपने हाथो में लेते
पैसों का इंतजाम जितना भी हो कमतर था
कहाँ वख्त था जो अपने खिलोनो से खेलते
वख्त से दौड़ ख़त्म, जोश, सेहत भी ख़तम
ये सोच ताजा है के न मालूम हुआ क्या था
कुछ यूँ भी कहते है, सब बुढ़ापे की बाते है
सब कुछ लुटा के, हम भी ऐसे सोचा करेंगे
मुमकिन है ऐसा हो फ़िलहाल सब लुटा नहीं
मैंने तो जरा पहले, सँभलने की दस्तक दी है
इससे पहले जोश होश खत्म सेहत भी खत्म
सोच की सोच न हो के न जाने हुआ क्या था
08/02/2020
08:24 pm
Lata
तनहा एकदम अकेला सा ख्याल आया
तमाम इस जद्दोजहद की वजह क्या थी
क्यों युद्ध में जंगी योद्धा बन उम्र गुजारी
नंबर पढ़ाई शोहरत रुतबा पैसा ही नहीं
हमने समझदारी भी लड़ते लड़ते कमाई
शतरंज की चौपड़ पे खेल खेले जी भर के
हमीं राजा, हमीं रानी, हमीं वजीर प्यादे थे
दोनों तरफ हारजीत जंगी ऐलान हमारे थे
हारे या हमीं जीते भी सारे मोहरे हमारे थे
न दुश्मन था सामने न ही फ़ौज का दस्ता
वजह थी क्या जो शूरवीरों सी उम्र गवायीं
अपने ही निशाने थे, तीर भी सारे हमारे थे
किसी ने कहा भी नहीं तुम्हारी जीतहार है
सरपट दौड़ शुरू हुई , गाजर बंधी पूँछ पे
माहौल जिसने दौड़ने को मजबूर किया था
बागों की सैर, वो चश्मे, वो खिलते कमल!
चाय की चुस्की, खाने का निवाला, मुहाल!
कहाँ वख्त था के दो घडी रुक इन्हे देखते
इनके साथ उनका हाथ अपने हाथो में लेते
पैसों का इंतजाम जितना भी हो कमतर था
कहाँ वख्त था जो अपने खिलोनो से खेलते
वख्त से दौड़ ख़त्म, जोश, सेहत भी ख़तम
ये सोच ताजा है के न मालूम हुआ क्या था
कुछ यूँ भी कहते है, सब बुढ़ापे की बाते है
सब कुछ लुटा के, हम भी ऐसे सोचा करेंगे
मुमकिन है ऐसा हो फ़िलहाल सब लुटा नहीं
मैंने तो जरा पहले, सँभलने की दस्तक दी है
इससे पहले जोश होश खत्म सेहत भी खत्म
सोच की सोच न हो के न जाने हुआ क्या था
08/02/2020
08:24 pm
Lata
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