“If we could see the miracle of a single flower clearly, our
whole life would change.”
“अगर हम एक भी फूल के चमत्कार को स्पष्ट रूप से देख
सकते हैं, पूरी जिंदगी बदल जाएगी। ”
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~ Buddha
बीज था पहले
फुहारें! पौध इसको कर गयी
मौसम पे यही पौध
कलियों और फूलों से भर गई
वो ज़रा भारी थे....
अनूठे रंग सभी उसके अपने थे
सुगंध हो बहे नहीं
पंखुड़ी से लिपटे-लिपटे झर गए
होने से अपरिचित
उपस्थिति से भी अन्जान था
ज्यादा नहीं कहूँ तो
सुंदर प्रकति का उपहार था
कुछ तितलियाँ भी थीं
जो रूप-लावण्य पे मंडरा रहीं
पराग असर में मदी था
जो हवा में उड़उड़ बिखर रहे थे
देखो तो मधुमख्हियाँ
कितने भाव इसके बढ़ा गयी
अहंकार में चूर
पुष्पलड़ी बोझ से ढलक गयी
खिलावट को समझे
के पहले डाली से ये झर जाए
सौम्य खुशबु उड़ा ये
जीवन-स्पंदित सुखद दे जाये
उसका अंत पता था
क्यूंकि उम्र कई बरस ज्यादा थी
सोच मे पड गयी
क्यूंकि इक सोच ही मेरे पास थी
क्यूंकि उम्र कई बरस ज्यादा थी
सोच मे पड गयी
क्यूंकि इक सोच ही मेरे पास थी
गर हवाएं न होती
सच्च ! ये निरा जंगली ही रहता
हवा ने खुशबू उड़ाई
उसपे इंसान ने ताज पहना दिया
एक बार पुनः उसे
अपने होने का भास होने लगा
घने तमस से निकल
पुष्प! ज्योतिर्बिंदु ओर बढ़ने लगा
नन्हे सतत प्रयासों से
पूर्णता को उपलब्ध वो होने लगा
अपने होने का अर्थ पा
जीवन-ज्योति कलश छलकने लगा
पूर्णता को उपलब्ध वो होने लगा
अपने होने का अर्थ पा
जीवन-ज्योति कलश छलकने लगा
अंकुरित बीज में से
सुगन्धित पुष्प-पल्लवित होने लगा
धूपहवापानी से मित्र
अविचलित सुलभ क्रीड़ा करने लगा
सुगन्धित पुष्प-पल्लवित होने लगा
धूपहवापानी से मित्र
अविचलित सुलभ क्रीड़ा करने लगा
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