दिल तो सरोवर है,सच में!
भरना ही भरना जानता है
कभी पंकपुष्प से भर उठे
कभी दवानल जल उठे है
रे चेतन! तनिक ध्यान धर
मानसहंस इसमें तिरता है
मोती मोती ये चुग पाता है
व्यर्थ इसे न कुछ पचता है
व्यर्थ इसे न कुछ पचता है
© lata, 03/03/2018, 07:57am

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